GETTING MY SHIV CHAISA TO WORK

Getting My Shiv chaisa To Work

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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

शिव आरती

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

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त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

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कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो॥

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